About
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
महान् राजनीतिज्ञ तथा समाज-सुधारक दीनबन्धु रहबरे-आजम चौधरी छोटूराम का कहना है कि जाट जैसा उदार, स्वाभिमानी, स्वावलम्बी, दयालु, ईमानदार, धीरु, गम्भीर, वीर, शरणागत का रक्षक, आगन्तुक का स्वागत करने वाला, न्यायप्रिय, दूसरों के लिए मर मिटने वाला निराला पुरुष इस संसार में कोई और नहीं है।
लेखक की भांति रहबरे आजम ने भी जाट के साथ-साथ अहीर, गूजर, राजपूत को मिलाकर इन्हें एक अजगर (AJGR) कौम कहा है जो शान्ति के समय में देश के भरण पोषण के लिए अन्न पैदा करती है और युद्ध के समय में देश की रक्षार्थ दुश्मन से लोहा लेती है।
चौधरी साहब कहा करते थे कि हे ईश्वर! मेरे कर्मानुसार मुझे लाख बार भी यदि मनुष्य योनि दे तो मुझे जाट के घर में पैदा करना ताकि मैं उच्च विचार तथा शुद्ध कर्मानुसार इस आवागमन के चक्र को उचित ढंग से पार करता चला जाऊं। किसी उर्दू कवि ने शायद जाट के लिए ही कहा है –
सैले हवादिस भी मोड़ सकता नहीं मर्दों के मुंह।
शेर सीधा तैरता है वक्ते रफ्तन आब में॥
जाट हलपति और तलवारपति के साथ साथ कलमपति भी है। लेखक ने यह भी सिद्ध कर दिया कि वह इतिहास बनाता ही नहीं, इतिहास लिखता भी है।
About Me
जिनमें लेखक ने भारतीय इतिहास के मर्म को छुआ है और जाट शूरवीरों के कर्म कौशल की गौरव गाथा को इतिहास के परिपेक्ष्य में वर्णित किया है। युद्ध के समय में तलवार के धनी और शांति के समय में हलपति का लेखक ने बहुत ही सुन्दर ढंग से चरित्र-चित्रण किया है।
इतिहास के सोये हुए पन्नों को तथा उन भूली बिसरी यादों को जोड़कर एक माला के रूप में पिरोया है। अलग से जाट बिरादरी का वर्णन न करके ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर यह भी सिद्ध किया है कि भारत की अन्य लड़ाकू बिरादरियां (Marshal Race) जाट की ही शाखा बिरादरियां हैं।
मेरा नाम रणधीर देशवाल है | मैं रोहतक हरियाणा का निवासी हूँ | मैं एक शोंकिया लेखक था पर समय के साथ साथ मेरे लेखन में बदलाव आया और आज मैं आपके सामने अपनी 3 top वेबसाइट और 5 ब्लॉग के साथ हूँ|
मेरी आरम्भिक शिक्षा मेरे गाँव मडलौडा जिला पानीपत में ही हुई थी उसके बाद मैंने जाट स्कुल रोहतक से आगे की पढाई की |
वर्ष 2007 में मैं लॉ की पढाई करने देहरादून चला गया वहां मैंने करीब करीब 8 साल गुजारे है |वर्ष 2011 में मैंने अपनी वकालत की परीक्षा गढ़वाल यूनिवर्सिटी श्रीनगर से टॉप की ,
उत्तराखंड के कल्चर का इस अवधि में मुझ पर बहुत घर प्रभाव पड़ा| पढाई पूरी करने के बाद मैं वापस हरियाणा चला आया | यहाँ रोहतक कोर्ट में अपनी प्रेक्टिस स्टार्ट की थी |
बचपन से ही मेरी रूचि इतिहास राजनितिक विषय में ज्यादा रही थी अत: रोहतक आकर मैंने जाट गजट नाम से इतिहास की मैगजीन निकालनी शुरू करी |
उसके बाद मेरी कई पुस्तके जैसे जाट गजट, क्रांति के योद्धे, जाट गजट 2 , किसान केसरी, बेचारा जमींदार अजगर एकता आदि प्रकाशित हुई जो भारत भर के पाठकों द्वारा सराही गयी |
वर्ष 1999 में मैंने अपनी 12वीं क्लास टॉप की थी पर मुझे SD कोलेज में नकार दिया गया, क्योंकि मेरा hindi बोलने का ढंग अलग था मेरे हर शब्द से हरियाणवी छलकती थी| आखिर को आखर बोलता था |
योग्य से भी उपर होते हुए मुझे साफ मना कर दिया गया, पर 39% को चुन लिया गया 76% को नकारा गया| उस दिन मैंने सोच लिया गाँव के रहने वाले लडकों को शहरों में स्थान नही मिलता |
मैं इस स्थिति को बदलना चाहता था | कम से कम अपने गाँव में तो लडकियों के लिए कालेज चाहता ही था क्योंकि रोज पानीपत आना जाना हमारे बस से बाहर की चीज है|
एक किसान परिवार से होते हुए मुझे यह स्थिति असहनीय थी, मैंने पहले गाँव को इस विषय में जागरूक किया| मेरे मन में वो टीश 2013 तक रही जब तक मेरे गाँव में सरकारी कालेज न बन गया |
आज भले ही कोई भाजपा का मंत्री इसका उद्घाटन करके अपना पत्थर लगाये पर हकीकत यह है कि यह तकालीन मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र हुड्डा की देन है ।
तत्कालीन गर्वनर ने तब कहा था 21 साल की उम्र में अपने क्षेत्र में कालेज बनवाने की ऐसी मिशाल पूरे भारत में नहीं मिलेगी ।
राजनेता सिर्फ अगले चुनाव की बात करते है पर जननेता अगली पीढ़ी की नींव रखते है ।
इसके बाद मैंने महर्षि दयानन्द यूनिवर्सिटी रोहतक से इतिहास में पीएचडी करी जिसका टॉपिक था जाट!
वकालत जैसे पेशे में मुझे सहज अनुभव नही हो रहा था क्योंकि अक्सर लेखक व कवी खुली तबियत के होते है जिन्हें किसी एक जगह बैठ कर जीना रास नहीं आता, मेरे साथ भी यही था |
मैं तब वकालत छोडकर अपनी लेखनी से ही लगाव रखा, पर वर्तमान युग में किताबे अक्सर अलमारियों की धूल झांकती है जबकि हर कोई फोन से जुड़ गया है | इसी चीज को ध्यान में रखकर मैंने भारत के वीर सपूत वेबसाइट की स्थापना करी |
वेबसाइट का अच्छा अनुभव होने के बाद मैंने यह जाटराम वेबसाइट शुरू की जो आज बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है | महीने के 6 लाख के आसपास विजिटर आते है जिससे मेरी अच्छी खासी कमाई भी होती है और प्रसिद्धि भी |
मैं आपको कुछ जाट इतिहास की थोड़ी झलक दिखाऊंगा जिनकी हर जाट को जानकारी होना चाहिए ताकि आने वाली नश्लों को अपने समाज की परम्परा, वीरता तथा योगदानों का ज्ञान हो सके |
उन्हें पता चले हम उन पिताओं की सन्तान है जिन्होंने युद्धकाल में तो भारत के लिए युद्ध में खून बहाकर इसकी रक्षा करी तथा साथ साथ शांति के समय में हल चलाकर इस देश की जनता का पेट भी भरा |
गाँव गरीब किसान मजदूर के हकों की आवाज़ उठाना मेरे लेखन का मुख्य मकसद है मेरा विश्वास है देश की खुशहाली का रास्ता गाँव के खेतों खलिहानों से होकर गुजरता है जब तक इस देश का गरीब किसान मजदूर सम्पन्न नही होगा इस देश की खुशहाली के कोई मायने नही है |