डागर जाट गोत्र का इतिहास

डागर जाट गोत्र का इतिहास

डागर जाट गोत्र का इतिहास यदुवंशी श्रीकृष्ण जी की चौथी पीढ़ी में बृज की परम्परा में जाड़ेचा और यदुमान नाम के दो भाई थे। इनमें जाड़ेचा ने काठियावाड़ में अपने राज्य वैभव का विस्तार किया। आज वहां भुज, जामनगर, ह्वौल, राजकोट, गूण्डल, मौर्वी आदि राजपूत राज्य जाड़ेचा को ही अपना पूर्वज मानते हैं। तात्पर्य साफ … Read more

तंवर, आन्तल, रावत, राव या सराव गोत्र का इतिहास

तंवर, आन्तल, रावत, राव या सराव गोत्र का इतिहास

तंवर, आन्तल, रावत, राव या सराव गोत्र का इतिहास आन्तल जाट गोत्र जो कि वैदिक कालीन तंवर या तोमर जाटों की शाखा है। ये तंवर जाट चन्द्रवंशी हैं। दिल्ली प्रान्त के गांव लाडोसराय से इन आन्तल जाटों का निकास हुआ। यह लाडोसराय के विद्वान् व वृद्ध लोगों से पूछताछ करने से मुझे जानकारी मिली है … Read more

रघुवंशी जाट गोत्र का इतिहास

रघुवंशी जाट गोत्र का इतिहास

रघुवंशी जाट गोत्र का इतिहास सूर्यवंश में महाराजा दशरथ के दादा रघु हुए जिनकी प्रसिद्धि के कारण उनके नाम पर सूर्यवंशी क्षत्रियों का संघ रघुवंशी कहलाया जो कि एक जाट वंश है (देखो प्रथम अध्याय सूर्यवंशी वंशावली)। इन रघुवंशी जाटों की कई शाखायें हैं जिनमें एक सीकरी के स्थान पर रहने के कारण रघुवंशी जाटों … Read more

गहलावत जाट गोत्र का इतिहास

गहलावत जाट गोत्र का इतिहास

गहलावत जाट गोत्र का इतिहास ब्रह्मा जी के पुत्र दक्ष प्रजापति की 13 कन्याओं का विवाह सूर्यवंशी महर्षि कश्यप के साथ हुआ था। उनमें से एक का नाम दिति था जिससे एक पुत्र हिरण्यकशपु हुआ जिसके 5 पुत्रों में से एक का नाम प्रहलाद था। प्रहलाद का पुत्र विरोचन था जिसका पुत्र बलि था जो … Read more

राणा जाट गोत्र का इतिहास

राणा जाट गोत्र का इतिहास

राणा जाट गोत्र का इतिहास सूर्यवंशी बाल या बालियान जाट गोत्र की कई शाखाओं में सिसौदिया और राणा शाखा भी है। इस बलवंश का शासन सन् 407 से 757 ई० तक, गुजरात में माही नदी और नर्मदा तक, मालवा का पश्चिमी भाग, भड़ोच, कच्छ, सौराष्ट्र और काठियावाड़ पर रहा। चाहर जाट गोत्र का इतिहास इस … Read more