Genuine Whisper विस्पर Sanitary Napkins & Pads Ultra Clean Wings 2021
Always is an American brand of menstrual hygiene products, including maxi pads, ultra-thin pads, pantyliners, disposable underwear for night-time wear, and vaginal wipes. A sister concern of Procter & Gamble, it was first introduced in the United States in test markets in the spring of 1983, then nationally in May 1984. By the end of 1984, Always had also been introduced internationally in United Kingdom, Canada, France, Germany, and Africa.
Always sanitary pads and other products are sold under the brand name Whisper in Japan, Singapore, India, China, South Korea, Philippines, Thailand, Hong Kong, Taiwan, Vietnam, Malaysia, Australia, Cambodia and Indonesia, Lines in Italy, Orkid in Turkey, Evax in Spain, and Ausonia in Portugal. The ‘Always’ name is applicable to products sold in the US, Africa (Kenya and Nigeria primarily), and some European countries.
हमेशा मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों का एक अमेरिकी ब्रांड है, जिसमें मैक्सी पैड, अल्ट्रा-पतली पैड, पैंटीलिनर्स, रात के समय पहनने के लिए डिस्पोजेबल अंडरवियर और योनि पोंछे शामिल हैं। प्रॉक्टर एंड गैंबल की एक बहन की चिंता, यह पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में 1983 के वसंत में परीक्षण बाजारों में पेश की गई थी, फिर मई 1984 में राष्ट्रीय स्तर पर। 1984 के अंत तक, हमेशा यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, फ्रांस में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेश की गई थी। , जर्मनी और अफ्रीका।
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हमेशा सेनेटरी पैड और अन्य उत्पाद जापान, सिंगापुर, भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, थाईलैंड, हांगकांग, ताइवान, वियतनाम, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया और इंडोनेशिया में ब्रांड नाम कानाफूसी के तहत बेचे जाते हैं, इटली में लाइनें, ओरकिड में तुर्की, स्पेन में एवैक्स और पुर्तगाल में औसोनिया। ‘ऑलवेज’ नाम अमेरिका, अफ्रीका (केन्या और नाइजीरिया मुख्य रूप से) और कुछ यूरोपीय देशों में बिकने वाले उत्पादों पर लागू है।
Always is an American brand of menstrual hygiene products, including maxi pads, ultra-thin pads, pantyliners, disposable underwear for night-time wear, and vaginal wipes. Enjoy a carefree period with Whisper sanitary pads.
Primarily gaining attention as a female hygiene brand, Whisper is a division of the consumer goods …Whisper understands the need of a woman during her menstrual cycle! Try Whisper Ultra Clean Sanitary Napkin to get all-day-long freshness and confidence.
हमेशा मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों का एक अमेरिकी ब्रांड है, जिसमें मैक्सी पैड, अल्ट्रा-पतली पैड, पैंटीलिनर्स, रात के समय पहनने के लिए डिस्पोजेबल अंडरवियर और योनि पोंछे शामिल हैं। व्हिस्पर सैनिटरी पैड के साथ एक लापरवाह अवधि का आनंद लें।
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मुख्य रूप से एक महिला स्वच्छता ब्रांड के रूप में ध्यान आकर्षित करना, कानाफूसी उपभोक्ता वस्तुओं का एक विभाजन है … कानाफूसी एक महिला की जरूरत को उसके मासिक धर्म के दौरान समझती है! पूरे दिन की ताजगी और आत्मविश्वास पाने के लिए व्हिस्पर अल्ट्रा क्लीन सेनेटरी नैपकिन का प्रयास करें।
आगरा में व्हिस्पर च्वॉइस और अमर उजाला की ओर से सेंट एंड्रूज पब्लिक स्कूल में गुरुवार को ‘सपनों की उड़ान’ कार्यक्रम में कई स्कूलों की छात्राएं और उनकी माताओं ने प्रतिभाग किया। विशेषज्ञों ने पीडियड्स से संबंधित जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पीरियड्स सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, डरने की जरूरत नहीं। संक्रमण से बचने के लिए कपड़े के बजाय सेनेटरी नैपकिन के इस्तेमाल की सलाह दी गई।
कार्यक्रम में पीरियड्स से जुड़ी जानकारियां साझा करने और जागरूकता लाने के उद्देश्य से शार्ट फिल्म दिखाई गई। फिल्म में दिखाया गया कि पीरियड्स के दौरान तमाम छात्राएं स्कूल नहीं जाती। उनका आत्म विश्वास कम हो जाता है। कपड़े के इस्तेमाल से किस तरह की दिक्कतें होती हैं। सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करके हर कार्य को सामान्य तरीके से किया जा सकता है। सेनेटरी पैड के इस्तेमाल का लाइव डेमो दिया गया।
मुख्य अतिथि ‘लागी तुझसे लगन’, ‘बालिका वधू’ सीरियल में बतौर अभिनेत्री काम कर चुकी माही विज ने कहा कि उन्हें कई बार पीरियड्स के दौरान भी शूटिंग करनी पड़ती है। पैड का इस्तेमाल करने से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। उन्होंने अपील की कि पैड को डस्टबिन में ही डाला जाए।
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महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रजनी पचौरी ने कहा कि किशोरावस्था में बहुत से शारीरिक परिवर्तन होते हैं। पीरियड्स भी सामान्य प्रक्रिया है। इसमें खानपान का ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान चिड़चिड़ापन और पेट दर्द की शिकायत रह सकती है। इससे घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
कराटे एक्सपर्ट दीपिका यादव ने भी अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम में गायत्री पब्लिक स्कूल, प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल और एसएस
कान्वेंट स्कूल की छात्राओं और उनकी माताओं ने हिस्सा लिया।
परिणीति ने ‘न्यू विस्पर अल्ट्रा’ सैनिटरी पैड्स का लॉन्च किया। इस मौके पर परिणीति चोपड़ा व मंदिरा बेदी ने शिरकत की। साथ ही परिणीति ने यह भी कहा कि ‘ मैं एक छोटे से शहर से आती हूं, जहां आज भी कई तर्कहीन मान्यताएं मौजूद हैं, बेहद जरूरी है कि इन मान्यताएं को तोड़ा जाए। परिणीति ने कहा कि मासिक धर्म को लेकर कई मान्यताएं हैं।
उनकी दादी भी उन्हें इससे जुड़ी ऐसी ही कुछ सलाह दिया करती थीं, जैसे कि इस दौरान अचार छूने या मंदिर जाने के लिए मनाही थी और बाल धोने जैसी कुछ मान्यताओं का उस समय पालन करने के लिए कहा जाता था, मुझे हमेशा लगता था कि मैंने कुछ गलत नहीं किया। हम एक शिक्षित देश में रहते हैं। हम भले ही काफी मामलों में विकसित हो गए हों, लेकिन इन मामलों में आज भी बेहद पीछे हैं।‘
Whisper Choice की जानकारी कानाफूसी चॉइस अल्ट्रा पैड
- फिसर चॉइस अल्ट्रा पैड की मुख्य विशेषताएं:
- आपको 100% तक दाग सुरक्षा प्राप्त करने में मदद करता है
- यह अतिरिक्त कवरेज प्रदान करने और दाग को रोकने के लिए लंबी अवधि के साथ आता है।
- ये क्रांतिकारी सेनेटरी पैड में पंख हैं जो पैड को जगह में रखते हैं।
- परम फिट और संरक्षण के लिए बड़े पंख
- अतिरिक्त कवरेज प्रदान करने के लिए अतिरिक्त लंबाई
नई दिल्लीः क्या हर महीने पीरियड्स के दौरान आप भी पैड्स यानि सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं? अगर हां, तो थोड़ा सावधान हो जाएं क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि सैनिटरी नैपकिन के लम्बे समय तक इस्तेमाल करने से कैंसर हो सकता है.
जानिए क्या कहा जा रहा है इस मामले में-
- पैड प्लास्टिक मैटिरियल से बनता है जिसमें बीपीए और बीपीएस जैसे कई कैमिकल्स डाले जाते है जो फीमेल ऑर्गन को खराब कर सकता है.
- सैनिटरी नैपकिन में फाइबर होता है जो कि सर्विकल कैंसर का कारण बन सकता है. ऐसा कहा जा रहा है कि सैनिटरी पैड पूरी तरह से रूई से नहीं बनते हैं. ऐसे में इन्हें बनाने के दौरान सेलूलोज़ जैल का इस्तेमाल होता है.
- इतना ही नहीं, ये भी कहा जा रहा है कि पैड्स में डाइऑक्सिन भी होता है जिससे ओवेरियन कैंसर हो सकता है.
- नैप्किंस को नमी एब्ज़ोर्व करने के लिए बनाया जाता है इसलिए रूई के साथ-साथ इसमें रेयोन (सेलूलोज से बनाया हुआ नकली रेशम), सिंथेटिक फाइबर भी डाला जाता है जो बहुत ही खतरनाक होते हैं.
- इसमें पैस्टिसाईड्स और जड़ी-बूटियों को भी डाला जाता है. ऐसे में सैनिटरी नैपकिन कैंसर का कारण बन सकता है.
डॉक्टर्स की राय-
इस मामले की जांच के दौरान एबीपी न्यूज़ ने कई डॉक्टर्स से बात की. जानिए क्या कहा डॉक्टर्स ने.
एम्स की गायनोक्लोजिस्ट डिपार्टमेंट की हेड डॉ. अल्का कृपलानी का कहना है कि किसी भी तरह के कैमिकल से महिलाओं को कैंसर हो सकता है. उन्होंने बताया कि यदि किसी सैनिट्री नैपकिन की मेकिंग के दौरान कैमिकल का इस्तेमाल हुआ है तो महिलाओं को उसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि कैमिकल से महिलाओं का सीधे संपर्क होता है तो उन्हें कैंसर हो सकता है. उन्होंने ये भी बताया कि कई महिलाएं पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड्स पर टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल करती हैं जो कि कैंसर का कारण बन सकता है.
मैक्स वैशाली हॉस्पिटल की गायनोक्लोजिस्ट डॉ. कनिका गुप्ता का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर सैनिटरी नैपकिन से नहीं हो सकता लेकिन सैनिटरी नैपकिन के कारण अनहाईजनिक मेडिकल कंडीशंस हो रही हैं. महिलाओं को ठीक से साफ-सफाई ना रखने के कारण इंफेक्शन हो रहा है. इससे इम्यूनिटी कम हो रही है. सीधे तौर पर कहा जाए तो यदि महिलाएं पैड्स इस्तेमाल करने के दौरान हाइजिन मेंटेन नहीं करती तो उन्हें इंफेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है जो कि बाद में किसी गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है. हाइजिन में ये भी ध्यान रखना जरूरी है कि सैनिटरी पैड्स कितने घंटे में बदले जा रहे हैं. नैपकिन कितना हाइजिनिकली बना है.
आईवीएफ स्पेशलिस्ट और गायनोक्लोजिस्ट डॉ. शिवानी
का कहना है कि बहुत सारी चीजें कैंसर होने का कारण होती है. पॉल्यूशन, डायट और भी इसी तरह की कई चीजें. हालांकि ये रिसर्च आई है कि सैनिटरी नैपकिन जो कैमिकल से बनते हैं उनसे कैंसर होने का खतरा है. लेकिन अब बहुत से बड़े ब्रांड्स ये दावा करते हैं कि उनके बनाए सैनिटरी नैपकिंस में किसी तरह का कोई कैमिकल इस्तेमाल नहीं होता. ऐसे में आपको ऐसे सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करना चाहिए जो कैमिकल से नहीं बने.
वहीं डॉ. गुलाटी का इस बारे में कहना है कि टैल्कम पाउडर से कैंसर होता है लेकिन सैनिट्री नैपकिन को लेकर ऐसा कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि इससे कैंसर होता है.
ये मैसेज भी हुआ था वायरल-
आपको बता दें कि कुछ समय पहले सोशल मीडिया एक पर पोस्ट डाली गई थी और इस पोस्ट में ये कहा गया कि 56 लड़कियों की पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल होने वाले विस्पर और स्टेफ्री सैनेटरी नैपकिन के कारण डेथ हो गई. पोस्ट में चेतावनी दी गई कि दिनभर एक ही पैड इस्तेमाल ना करें क्योंकि इन अल्ट्रा नैपकिंस में कैमिकल का इस्तेमाल होता है ये कैमिकल दिनभर में लिक्विड जैल में कन्वर्ट हो जाता है जिस कारण ब्लैडर कैंसर और यूट्रस कैंसर होने का डर रहता है. पोस्ट में सलाह दी गई कि सिर्फ कॉटन से बने पैड का ही इस्तेमाल करें. साथ ही ये भी लिखा गया कि यदि आप अल्ट्रा पैड्स का इस्तेमाल करती हैं तो 5 घंटे बाद बदल लें. अगर सैनेटिरी नैपकिन नहीं बदला गया तो इसमें जमा ब्लड ग्रीन होकर फंगस बन जाता है जो कि यूट्रस के जरिए बॉडी में जाता है.
लेकिन जब एबीपी न्यूज़ ने इसकी जांच करी तो ये बात गलत निकली. एबीपी न्यूज़ ने इस बारे में मैक्स वैशाली हॉस्पिटल की गायनोक्लोजिस्ट डॉ. कनिका गुप्ता से बात की थी. उनका कहना था कि पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड्स यूज कर रहे हों और दिनभर उसे चेंज नहीं कर रहे तो जो ब्लड इकट्ठा है उससे बस 1 पर्सेंट चांस हैं कि कुछ इंफेक्शन डवलप हो जाए लेकिन ये अलग सिचुएशन हैं. सैनिटरी पैड्स के इस्तेमाल से ना तो ब्लैडर कैंसर होता है और ना ही यूट्रेस कैंसर. इतना ही नहीं, अगर कॉटन पैड्स यूज करने की बात की जा रही हैं तो उसको भी चेंज नहीं करोगे तो इंफेक्शन और बाकी चीजें तो उससे भी हो सकती हैं. ये सिर्फ डराया जा रहा है कि 56 लड़कियों की विस्पर या स्टेफ्री से मौत हो गई.
क्या कहते हैं आंकड़े-
नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) 2015-16 की रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में ग्रामीण महिलाएं 48.5%, शहरों में 77.5% महिलाएं और कुल 57.6% महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं.
जांच के दौरान सैनिटरी नैपकिन नहीं पाए गए सुरक्षित-
2003 में अहमदाबाद स्थित कंज़्यूमर एजूकेशन एंड रिसर्च सेंटर ने बाजार में उपलब्ध 19 ब्रांड के सैनिटरी नैपकिन की जांच की तो इन पर ना सिर्फ डस्ट मिली बल्कि इनमें चीटियां भी पाईं गईं.
कंज़्यूमर्स की राय-
कंज़्यूमर्स का मानना है कि जब बाज़ार में प्रोडक्ट्स अधिकारिक एजेंसियों द्वारा प्रमाणित होते हैं तो वे सुरक्षित हैं. भारत में सैनिटरी पैड को जिस स्टैंडर्ड के अनुसार परीक्षण किया जाता है उनमें 1980 से कोई बदलाव नहीं किया गया है.
अगर इस स्टैंडर्ड के अनुसार जांच की जाए तो सारे सैनिटरी पैड्स पास हो जाएंगे तो इसलिए इन स्टैंडर्ड्स में बदलाव करना ज़रूरी है या इनमें और भी पैरामीटर्स डाले जाएं.
चीफ एग्ज़िक्यूटिव ऑफिसर ऑफ वेगर हाइजीन एंड मेकर ऑफ हेल्थ एंड पर्सनल केयर के जिनोज का कहना है कि हमें ऐसे पैरामीटर्स डालने होंगे जिससे यह पता चल सके कि ये प्रोडक्ट कितना सेफ हैं.
Why women’s are using whisper?
Since its launch in the Indian market in 1989, Whisper has continuously worked towards educating women about using sanitary napkins over cloth towels. Apart from television and print advertising, Whisper educates girls on menstruation in schools through its Mother-Daughter Menstrual Hygiene Program.
Are whisper pads harmful?
As per experts, sanitary pads are safe, but there are a few ongoing studies that have reported the incidence of genital cancer with the use of sanitary pads which use absorptive agents like dioxin and super-absorbent polymers.
Which pad is best for heavy flow? Here are some of the best sanitary pads for heavy bleeding:
- Whisper Ultra Clean Sanitary Pads – XL+
- Stayfree Dry Max Ultra Dry.
- Pee Safe 100% Organic Cotton Biodegradable Regular Sanitary Pads.
- Paree Super Soft & Dry 40 Sanitary Pads-XL.
- PINQ Bulk Me Box – 40 Premium Cotton Feel Ultra Slim Sanitary Pads.
Does whisper still exist?
Whisper has made over $60 million since its launch in 2012 and has about 20 million monthly users in almost 200 different countries, according to Business Insider. But since then, the anonymous forum has been dying out after all of its board members stepped down from their positions last year.
Is whisper a hookup app?
There are numerous groups on Whisper set up for hookups and sex, and they’re easily available to any minors on the app. While Whisper’s policy requires users to be at least 17 years old, it does not have restrictions in place to verify. Users often use specific groups to comment, message, and solicit
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Is whisper safe to use?“
What users care about is they’re anonymous to the community.” Whisper spells all this out pretty clearly in its privacy policy: “Regardless of efforts, no data transmission over the Internet or other network, including any of WhisperText’s services can be guaranteed to be 100% secure.”
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