सिद्धू बराड़ जाट वंश – Sidhu Brar Jat Dynasty

सिद्धू बराड़ जाट वंश - Sidhu Brar Jat Dynasty

सिद्धू बराड़ जाट वंश – Sidhu Brar Jat Dynasty ये दोनों जाटवंश (गोत्र) चन्द्रवंशी मालव या मल्ल जाटवंश के शाखा गोत्र हैं। मालव जाटों का शक्तिशाली राज्य बौद्धकाल में था। सिद्ध (सिद्धू) शब्द सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध के बचपन का नाम) और इसके बाद इस वंश के जाटों के अलग-अलग दो राज्य, उत्तरी भारत में मल्लराष्ट्र … Read more

ग्रेवाल जाट गोत्र का इतिहास – Sikh Jatt Sarname

ग्रेवाल जाट गोत्र का इतिहास

ग्रेवाल जाट गोत्र का इतिहास – Sikh Jatt Sarname ग्रेवाल-ग्रहवार-गहरवार यह एक प्राचीन राजवंश है जो चन्द्रवंश की शाखा है। पांचाल जनपद से मिले लेखों में राजा महोतल का वंश गहरवार लिखा है। गहरवार, ग्रहवार, ग्रेवाल एक ही हैं जो भाषाभेद से अलग-अलग बोले जाते हैं। इस वंश का निवास चुनारगढ़ के किले से इलाहाबाद … Read more

सारण – रणधावा जाट गोत्र का इतिहास

मल्लयुद्ध

सारण – रणधावा जाट गोत्र का इतिहास यदु वंश में राजा गज ने गजनी का निर्माण किया। उसके पुत्र शालिवाहन ने गजनी से आकर पंजाब में शालिवाहनपुर (शालपुर) नगर की स्थापना करके उसे अपनी राजधानी बनाया। इस सम्राट् के 15 पुत्रों में से एक का नाम बलन्द था जो इसका उत्तराधिकारी बना। राजा बलन्द के … Read more

सन् 1947 तक जाटों की रियासतें

जाटों की रियासतें

सन् 1947 तक जाटों की रियासतें 15 अगस्त 1947 तक जाटों की निम्नलिखित रियासतें थीं – हिन्दू जाट रियासतें भरतपुर, धौलपुर, मुरसान, सहारनपुर, कुचेसर, उचागांव, पिसावा, मुरादाबाद, गोहद और जारखी। बल्लभगढ़ व टप्पा राया को अंग्रेजों ने 1858 में जब्त किया तथा हाथरस को 1916 में। जाट सिक्ख रियासतें पटियाला, नाभा, जीन्द, (फूलकिया रियासत) और … Read more

गिल जाट गोत्र का इतिहास – शेरगिल जट्ट सिख गोत्र

गिल जाट गोत्र का इतिहास

गिल जाट गोत्र का इतिहास – शेरगिल जट्ट सिख गोत्र गिल जाट वंश है जो बौद्ध काल के साथ ही प्रचलित हुआ। इसके विषय में दो तरह के ऐतिहासिक लेख हैं। पहला उदाहरण: भारत में जाट राज्य (उर्दू), पृ० 403 पर योगेन्द्रपाल शास्त्री ने लिखा है कि – “वास्तव में गिल आर्यों का वह दल … Read more