शिवराण, श्योराण, सौराण
यह श्योराण प्राचीन जाट गोत्र है। भारतीय साहित्य में इसका नाम शूरा लिखा है (महाभारत 2/13/26)। आजकल मध्य एशिया में इसे शोर बोला जाता है। महाभारत में इन शूरा लोगों को सूरयासुर लिखा है।
सूरा राजाओं ने आकर युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भेंट दी थी। इन प्रमाणों से साफ है कि श्योराण जाटों का शासन महाभारत काल में था।
गुप्तकाल के प्रसिद्ध विद्वान् वराहमिहिर ने अपनी पुस्तक बृहत-संहिता में श्योराण-शूराण जाटों को शूरा-सेना लिखा है।
चन्द्रवंशी सम्राट् ययाति के पुत्र उनु की दसवीं पीढी में उशीनर के पुत्र शिवि से शिवि-शौव्य-शैव जाट गोत्र प्रचलित हुआ। शिवराण-श्योराण जाट गोत्र इसी शिवि-शौव्य जाट गोत्र की शाखा है।
अनीता श्योराण भारत की एक महिला पहलवान हैं। उन्होंने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में कई पदक जीतने के साथ स्वर्ण पदक जीता है।
शिवराण, श्योराण, सौराण, Sheoran Jat Gotra Ka Itihas
श्योराण के भाट की पोथी के अनुसार राज गज, जिसने गजनी बसाई और उसका शासक हुआ, के दो पुत्र मंगलराव और मसूरराव थे।
मंगलराव लाहौर का शासक था और मसूरराव सियालकोट का। इनका राज्य ईरानी आक्रमणकारियों ने छीन लिया। वे राजस्थान की ओर भाग गये।
मंगलराव के छः पुत्रों में से एक का नाम शोराज था जिसके नाम पर श्योराण गोत्र प्रचलित हुआ। भाट की पोथी के लेख असत्य हैं क्योंकि इससे बहुत वर्ष पहले महाभारत काल में श्योराण जाटों का नाम व राज्य था। इनकी उत्पत्ति इस समय से बहुत पहले की है।
इन श्योराण जाटों का शासन मालवा में था। हुमायूंनामा के अनुसार ये लोग मालवा से हटकर जिस समय राजपूताना में गए, उस समय इनका एक दल नीमराणा के आस-पास पहुंच गया और हुमायूं के समय तब इनका छोटा-मोटा राज्य इस स्थान पर रहा।
लोहारू रियासत के नवाब ने इनके 52 गांवों की छोटी-सी रियासत पर अधिकार कर लिया और 25 गांवों पर जींद रियासत ने।
आज श्योराण जाटों के भिवानी जिले में लोहारु क्षेत्र में 25 गांव हैं और दादरी क्षेत्र में 25 गांव हैं। जिला हिसार में 25 गांव हैं। लोहारू क्षेत्र के 52 गांवों का प्रधान गांव चहड़ है।
इन जाटों की मेरठ में डगी जाम की एक अच्छी रियासत थी। वहां से जाकर रोरी, रोहटा गांव आबाद किये।
बिजनौर व मंडावली और हरिद्वार के पास बहादरपुर, सहारनपुर के पास छछरौली, मथुरा में छाता के पास नानपुर, बदरूम, प्राणपुर पहाड़ी, श्यौराण जाटों के गांव हैं जो सभी हिन्दू जाट हैं।
नोट – ईरान में रोअन्दिज एक प्रान्त है जहां पर सौराण जाटों का शासन था। उस प्रान्त में सौराण कबीला आज भी आबाद है।
कुलदीप सिंह श्योराण, महानिरीक्षक, PTM, TM (0089-C), कमांडर तटरक्षक क्षेत्र (A & N) ने 25 जुलाई 2015 को इस क्षेत्र की बागडोर संभाली।
इराक से संबंध
ठाकुर देशराज ने लिखा है …. इराक में रोअंडिज़ एक प्रांत है। उसमें सोहरान एक कबिला अब तक रहता है। वे रोअंदिज के मालिक हैं।
भारत में लोहारु में इन सोहरान अथवा स्यौरान के 52 गांव पाते हैं। विधि की विचित्रता से रोअंदिज के सोहरान (मांडलिक) शासक हैं और लोहारू के श्यौरान शासित हैं।
अगर मजहब का पचड़ा बीज से हटा दिया जाए तो क्या लोहारू और ईरान के सोहरान भाई नहीं हैं?
भलेराम बेनीवाल के अनुसार यह जाटों का प्राचीन गोत्र है. महाभारत में इनका उल्लेख सूर्यासर के रूप में हुआ है। शूर राजा पांडव राजा युधिष्ठिर के यज्ञ में शामिल हुये थे।
भारतीय साहित्य में इनका नाम शूरा लिखा है. गुप्त काल में शूर सेन लिखा है. ईरान के रोअन्दिज नामक प्रान्त पर श्योराण जाटों का राज्य था। श्योराण कबीला आज भी वहां पर आबाद है।
हुमायुंनामा के अनुसार श्योराण गोत्र के जाटों का मालवा में राज्य था। वहां से किसी कारण राजस्थान के नीमराणा के स्थान पर पहुंचे तथा राज्य स्थापित किया।
इस गोत्र के बारे में कहावत है कि श्योराण जाटों का राजपूतों से झगड़ा होता रहा और ये आगे बढते रहे। इसी प्रकार ये लोग लोहारू क्षेत्र में पड़ने वाले गांव सिधनवा में पहुंचे और वहीं बस गये।
यहीं के महाराज ने इनको कुछ एरिया दे दिया. जिसे बाद में इन्होने रियासत के रूप में स्थापित किया, लुहारू व दादरी में अपनी बढोतरी की और धीरे-धीरे लुहारू में 50 गांव व दादरी में 25 गांव में फ़ैल गये।
आज श्योराण गोत्र के दादरी में 47 गांव तथा लुहारू में 70 गांव हैं। सिधनवा व चहड कला इस गोत्र के प्रधान गांव हैं।
श्योराण खाप चौरासी की पंचायत संगठन इस बात का प्रतीक है. इस खाप के फ़ैसलों को राजाओं ने भी माना है।
श्योराण गोत्र के प्रमुख गांव:
लोहाक, चहड़ कला, सिधनवा, गोकल पुरा, दमकोरा, सिघानी, गागड़वास, बारवास, सिरसी, गारनपुर, कासनी कला, हाजमपुर, गिगनाऊ, बसीरवास, गोठड़ा, बरालू, हरियास, कुशलपुरा, सलेमपुर, नकीपुर, झुंपा कला, झुंपा खूर्द, फ़रटिया केहर, पाजू, बीढन, मण्ढोली, बेरान ढाणी अकबरपुर, ठाणी पाड़वान आदि 125 के लगभग गांव हैं।
- हिसार में पोली, कोहळी, छान, कवारी, विडोद, राखी खास, गामड़ा
- भिवानी में कालियास, हसाण, मठाण
- चुरू में लूंछ, चुबकिया ताल, देगा की ढाणी
- सिरसा में भाखुसरान, लुदेसर
- मेरठ में रोरी, रोहटा
- हरिद्वार के पास बहदपुर
- सहारनपुर के पास छछरोली,
- मथुरा के पास छाता के नजदीक नानपुर, बदरूम, प्राणपुर, आदि श्योराण गोत्र के गांव हैं।
महत्वपूर्ण लोग
- दादा चाचू ( संत चाचू धाम)
- हरफूल जाट जुलानीवाला
- अनीता श्योराण
- कुलदीप सिंह श्योराण
- सूबेदार छोटू राम श्योराण
- हवा सिंह श्योराण
- आनंदस्वरूप श्योराण रायपुर जाटान बुहाना
- प्रिंसिपल नीर सिंह – शिक्षाविद ग्राम ढाणी बायवाली, नारनौल
- शमशेर सिंह – ग्राम अलेवा, जींद
- देशपाल सिंह – ग्राम रायपुर जाटान, करनाल
- रणदीप सिंह – ग्राम रायपुर जाटान, करनाल
- धर्मवीर सिंह – आर्यनगर भिवानी, भूतपूर्व सि.आर.पी.अफ़. कमान्डेन्ट
- चांद रूप – शिक्षाविद ग्राम भालोट, रोहतक
- चौ. शेर सिंह – रिटायर डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर (1997-2000), जिला झज्जर
- त्यागी मनसाराम व बूज्जाभगत
- श्रीमती प्रियंका सुशील श्योराण- जिला प्रमुख श्रीगंगानगर (राजस्थान)
शिवराण, सौराण, Sheoran Jat Gotra Ka Itihas