जाटों के साथ पक्षपात के कुछ उदाहरण
जैसे कि मैंने ऊपर लिखा है, अंग्रेजी सरकार ने सन 1856 में सेना में बहादुरी का सर्वोच्च पुरस्कार विक्टोरिया क्रास आरंभ किया जो सन 1947 तक 1346 वीर सैनिकों को दिये गये जिसमें 40 भारतीयों के हिस्से में आये और इनमें से 10 जाटों के नाम हैं
अर्थात अंग्रेजों ने जाटों की बहादुरी पर उनके साथ पूरा-पूरा न्याय किया। लेकिन सन 1950 से 2001 तक भारतीय सरकार ने 40 ही भारतीयों को भारत रत्न से सम्मानित किया जिसमें नाचने, गाने, बजाने वालों व पं. नेहरू का लगभग समस्त खानदान सम्मिलित है
जाटों के साथ पक्षपात के कुछ उदाहरण
लेकिन आज तक किसी भी जाट को इसके योग्य नहीं पाया। जबकि चौ० छोटूराम किसी भी प्रकार से नेहरू खानदान से निम्न नहीं थे। निम्न की बात तो छोड़ो, पं० नेहरू से चौ० छोटूराम हर मामले में आगे थे।
पीछे थे तो पैसे में और मीडिया के कारण, जो स्वाभाविक था। मीडिया का बर्ताव ऐसा ही चौ० चरणसिंह के साथ था। इसलिए सन 1979 में तंग आकर उन्होंने कहा था ‘काश! मैं ब्राह्मण होता।’
एक बार एक पत्रकार ने चौ० साहब से प्रश्न किया, ‘आप प्रधानमन्त्री क्यों बनना चाहते हैं? तो चौ० साहब ने पत्रकार से उलटा सवाल पूछा, ‘क्या आप पत्रकार से सम्पादक नहीं बनना चाहते?’
सन् 2005 में चौ० भूपेन्द्र सिंह हुडडा हरियाणा के मुख्यमन्त्री बनने पर कुछ जातियों ने कहना शुरू कर दिया कि सरकार नहीं बदली केवल टांगे बदली हैं और इन लोगों के उस दिन घर पर चूल्हे तक नहीं जले।
चौ० चरणसिंह भारत के गृहमंत्री, वित्तमंत्री तथा प्रधानमंत्री पद तक रहे और उन्होंने भारतीय ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था नीति पर आधारित एक पूरे साहित्य की रचना की
जो 18 पुस्तकों के रूप में आज भारतवर्ष के विभिन्न पुस्तकालयों में धूल चाट रही हैं। जबकि इसी के अध्याय इंग्लैण्ड के आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाये जा रहे हैं। (प्रमाण उपलब्ध हैं)।
इन्होंने ही कहा था – देश की खुशहाली का रास्ता गांव व खलिहानों से होकर गुजरता है। चौधरी देवीलाल भारत के कैबिनेट मंत्री रहे और दो बार उपप्रधानमंत्री रहे।
उन्होंने इस देश की बाहुल्य जनसंख्या के हित में ऐसे कानून बनवाये जिनके बारे में कभी किसी भारतीय अर्थशास्त्री ने सोचा भी नहीं था। इन्होंने कहा था, लोकलाज से ही लोकराज चलता है।
चौ० बंसीलाल भारतवर्ष में एक माडल प्रशासक के रूप में चर्चित रहे। चौ० बलदेवराम मिर्धा, प्रतापसिंह कैरों तथा प्रकाशसिंह बादल आदि जैसे महान नेताओं को इसके योग्य नहीं समझा जबकि आसाम के पूर्व मुख्यमंत्री पं० गोपीनाथ बरदोलाई, डा० भगवानदास तथा जी.बी. पंत (सभी ब्राह्मण) आदि तक को यह सम्मान दे दिया गया।
जाटों के साथ पक्षपात के कुछ उदाहरण
इसीलिए तो चौ० छोटूराम ने नवम्बर सन 1929 को रोहतक में अपने भाषण में कहा था कि हम गोरे बनियों का शासन बदलकर काले बनियों का राज नहीं चाहते, हम चाहते हैं कि भारतवर्ष में किसान मजदूर का राज हो।
यही बात इससे पहले अमर शहीद भगतसिंह ने भी कही थी। इस प्रकार उनकी कही बात सत्य सिद्ध हो रही है। केवल ‘भारत रत्न’ ही नहीं, जाटों के साथ हर क्षेत्र में पक्ष-पात हो रहा है।
चाहे चीन की लड़ाई हो या कारगिल की लड़ाई, चाहे भारत सरकार की नौकरियों की बात हो या फिर प्राइवेट सेक्टर की।
कारगिल की लड़ाई को ही देखिये कि जाट रजिमेण्ट में दूसरी जाति के अफसरों को तो बड़े-बड़े बहादुरी के पुरस्कार दिये गए जबकि सिपाहियों को नहीं। क्या अफसर बगैर सिपाहियों के ही लड़ रहे थे?
इस सबका कारण भी हम जानते हैं। क्योंकि सेना में भी उच्च अधिकारी इसी भापा वर्ग से बढ़ते जा रहे हैं। हमारा ऊंची नौकरियों में क्या हिस्सा है,
एक नजर डालें? हम सभी जानते हैं कि आज देश की नीति का निर्धारण आई. ए. एस. अधिकारी ही करते हैं। मोहर मंत्रिमंडल अवश्य लगाता है-
सन् 1990 में कुल 2483 आई.ए.एस. अधिकारी देश में थे जिनमें 675 ब्राह्मण, 353 कायस्थ, 317 अग्रवाल, 228 बैकवर्ड, 213 राजपूत,
उत्तर-पश्चिम भारत में जाटों या सीथियनों का वर्चस्व था
पद | कुल | ब्राह्मणों की संख्या | प्रतिशत | |
गवर्नर-लै०, जनरल | 27 | 18 | 65 | |
सचिव | 24 | 13 | 56 | |
मुख्य सचिव | 26 | 13 | 50 | |
केन्द्रीय मन्त्री (कैबिनेट) | 18 | 9 | 50 | |
राज्यमन्त्री व उपमन्त्री | 49 | 34 | 71 | |
सभी केन्द्रीय मन्त्रालयों में सचिव | 500 | 310 | 64.5 | |
वाइस चांसलर | 98 | 50 | 52 | |
हाईकोर्ट व सह-जज | 336 | 169 | 50 | |
राजदूत-कमिश्नर | 140 | 58 | 41.8 | |
पब्लिक इन्टरप्राइस | 158 | 91 | 57 |
नोट -याद रहे भारत में ब्राह्मण जाति कुल 3 प्रतिशत है । यह आंकड़ों का कमाल पं० नेहरू की देन है। लेकिन हर कहानी को गरीब ब्राह्मण था कहकर क्यों आरम्भ किया जाता है? इस आदत पर एक बार पाठक भी विचार तो करें? फिर भी ब्राह्मण किस प्रकार गरीब हैं?
हरयाणा राज्य के सन् 1990 के आंकड़े तो इससे भी अधिक चौंकाने वाले हैं, जबकि हरयाणा को जाटों का गढ़ कहा जाता है। हरयाणा में जातिवार राजपत्रित अधिकारियों की संख्या इस प्रकार थी
तालिका | ||
जाति | जातिवार जनसंख्या (%) | राजपत्रित अधिकारी |
जाट | 27 (मूला व सिख जाट मिलाकर 32) | 10.90 |
ब्राह्मण | 7 (मुश्किल से) | 11.76 |
पंजाबी अरोड़ा खत्री | 8 | 36.90 |
बिश्नोई | 0.7 | 0.88 |
अग्रवाल व्यापारी | 5 | 15 |
मेव | 2 | 0 |
भारतवर्ष की गुलामी के संस्थापक कौन थे?