तंवर, आन्तल, रावत, राव या सराव गोत्र का इतिहास
आन्तल जाट गोत्र जो कि वैदिक कालीन तंवर या तोमर जाटों की शाखा है। ये तंवर जाट चन्द्रवंशी हैं। दिल्ली प्रान्त के गांव लाडोसराय से इन आन्तल जाटों का निकास हुआ।
यह लाडोसराय के विद्वान् व वृद्ध लोगों से पूछताछ करने से मुझे जानकारी मिली है (लेखक)। लाडोसराय के जाटों का गोत्र जेसवाल है जो कि तंवर-तोमर जाटों की शाखा है।
लाडोसराय के निकट जेसवाल जाटों का एक और गांव अधचीनी है। जिला मुरादाबाद में जेसवाल जाटों के लगभग 12 गांव हैं।
लाडोसराय से निकलकर जेसवाल जाटों का एक संघ किसी दूसरे स्थान पर आबाद होने के लिए गया। जनश्रुति के अनुसार एक युद्ध में इन जाटों के दल ने ब्राह्मणों की आंतें निकाल ली थीं, जिसके कारण ये जाट आन्तल तंवर के नाम पर प्रसिद्ध हुए।
इन जाटों ने सोनीपत जिले में जाकर अपनी बस्तियां बसाईं।
जिला सोनीपत में इन तंवर आन्तल जाटों के 24 गांव एक जत्थे के रूप में बसे हुए हैं। खेवड़ा के आसपास 12 गांव और मुरथल के चारों ओर 12 गांव इन जाटों के हैं, जिनका प्रधान गांव मुरथल है।
मुरथल, नांगल, केमाशपुर, मकीमपुर, दीपालपुर, हुसेनपुर, खेवड़ा आदि तंवर आन्तल जाटों के प्रसिद्ध गांव हैं।
जिला बिजनौर में नूरपुर गांव में भी आन्तल जाट आबाद हैं। पटियाला जिले के 30 गांवों में तंवर आन्तल जाट आबाद हैं।
तंवर आन्तल जाटों का जेसवाल गोत्र के जाटों के साथ आमने-सामने रिश्ता-नाता नहीं होता है, क्योंकि यह रक्त भाई हैं।
पंचायत और इसके जन्मदाता जाट थे
तंवर, आन्तल, रावत, राव या सराव गोत्र का इतिहास – History of Tanwar, Antal, Rawat, Rao or Sarav gotra
रावत
रावत जाट गोत्र, चन्द्रवंशी तंवर-तोमर वैदिक जाट गोत्र की शाखा है।
गुड़गांव में पलवल के पास 80 गांव और अलीगढ़ के इगलास के समीप 8 गांव और बिजनौर में जटपुरा रावत जाटों के सुप्रसिद्ध गांव हैं।
रावत जाटों ने बल्लभगढ राज्य की स्थापना कराने में और भरतपुर नरेशों की युद्धों में सहायता करने में बड़ा यश उपार्जित किया था।
परन्तु ये जाट स्वयं अपना राज्य स्थापित न कर सके। गुड़गांव जिले के पहाकी गांव के रावत जाट की पुत्री राजकौर भरतपुर नरेश महाराजा बलवन्तसिंह
(सन् 1826-1853) की महारानी थी।
जाटों के साथ पक्षपात के कुछ उदाहरण
राव या सराव
राव या सराव जाट गोत्र भी वैदिक कालीन तंवर-तोमर जाट गोत्र की शाखा है। कर्नल टॉड ने भी इनको तंवरों की शाखा माना है। इन जाटों को राव और कहीं पर सराव बोलते हैं जो दोनों एक ही हैं।
ये जाट दिल्ली के चारों तरफ आबाद हैं। राव जाटों की यू० पी० और पंजाब में बहुत है। गाजियाबाद के निकट इस वंश के राजपूतों की भी काफी संख्या है।
सराव जाट गोत्र का उच्चकोटि का सुप्रसिद्ध वीर बाबा फूलसिंह अकाली था। इस वीर योद्धा ने सर्वथा स्वतन्त्र रहकर पठानों और अंग्रेजों से बड़ी-बड़ी लड़ाइयां लड़ीं। पंजाबकेसरी महाराजा रणजीतसिंह के बुलावे पर आपने अपना बलवान् शहीदी जत्था साथ लेकर मुलतान विजय में अद्भुत वीरता दिखाई।
महाराजा रणजीतसिंह की सहायता के लिए फूलासिंह का अन्तिम युद्ध नौशहरा का था जहां पर आप वीरगति को प्राप्त हुए (देखो नवम अध्याय, पंजाबकेसरी महाराजा रणजीतसिंह प्रकरण)।
वीर फूलासिंह की समाधि तरनतारन में बनी हुई है। लुधियाना में दहड़ू, जयपुर में घरियाना, जोधपुर में छाजौली, साडीला, छोटी खाटू, मुजफ्फरनगर में घटायन, बिजनौर में पीपली, मंसूरपुर, मेरठ में नूरपुर, अटौला आदि राव गोत्र के जाटों के गांव हैं।
तंवर, आन्तल, रावत, राव या सराव गोत्र का इतिहास – History of Tanwar, Antal, Rawat, Rao or Sarav gotra
भिंड तंवर
सिन्धिया राज ग्वालियर के अन्तर्गत भिण्ड नामक स्थान पर प्राचीन मध्यकाल में जिन तंवर जाटों का राज्य था, वहां से उनके विस्तार होने पर भिण्ड तंवर के नाम से ही इन जाटों की प्रसिद्धि हुई।
इस शाखा का मुख्य गांव बिजनौर जिले में हाजीपुर है। एक समय बिजनौर जिले के जाटों की अनुशासन व्यवस्था इसी गांव के देवता नैनसिंह के द्वारा संचालित होती थी।
वे अपनी दूरदर्शितापूर्ण सूझबूझ न्यायपरायणता के लिये जिले भर में सर्वोच्च रूप में ख्याति प्राप्त थे। पंजाब में जिला अमृतसर, जालन्धर, गुरदासपुर में भिण्ड तंवर जाटों के कई गांव हैं।
जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-1023
जाटों के साथ पक्षपात के कुछ उदाहरण