गिल जाट गोत्र का इतिहास – शेरगिल जट्ट सिख गोत्र
गिल जाट वंश है जो बौद्ध काल के साथ ही प्रचलित हुआ। इसके विषय में दो तरह के ऐतिहासिक लेख हैं।
पहला उदाहरण: भारत में जाट राज्य (उर्दू), पृ० 403 पर योगेन्द्रपाल शास्त्री ने लिखा है कि –
“वास्तव में गिल आर्यों का वह दल है जो सबसे पहले कश्मीर से उतरा और कन्धार के पास से होता हुआ मुलतान के आगे उंची भूमि पर आबाद हो गया। प्राचीनकाल से यह भूमि उपजाऊ है।
ऊपर बसने वालों ने, नीचे गीली भूमि में बसने वाला दल प्रसिद्ध किया। निचली तर भूमि को गीली कहते हैं। ये लोग सबसे ऊंची भूमि पंजाब व कंधार में आबाद थे, परन्तु इनसे ऊपर बसने वालों ने, निचली गीली भूमि में बसने वाला गिल नाम दिया।
आजकल भी गंगा-यमुना के किनारे की भूमि को खादर और वहां बसने वालों को खदरया कहा जाता है, जबकि वे बाढ़ से बचने के लिए ऊपर भूमि पर रहते हैं। महाभारत काल के बाद इस वंश का अस्तित्व बौद्धकाल में काबुल नदी के किनारे और कन्धार क्षेत्र में था।
यह लोग आज भी युसुफजई, काकरजई, सूरजई की भांति गिलजई पठान कहलाते हैं जो बड़ी संख्या में आबाद हैं। जई का अर्थ जत्था का है।
ये लोग बौद्धधर्मी थे, फिर संघरूप से इस गिल दल ने इस्लाम स्वीकार कर लिया था। पंजाब में गिल जाटों ने गुरु गोविन्दसिंह के आह्वान पर सामूहिक रूप से सिक्ख धर्म ग्रहण किया।”
कुलविंदर सिंह गिल, जिन्हें गुग्गू गिल के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय फिल्म अभिनेता हैं जो मुख्य रूप से पंजाबी सिनेमा में काम करते हैं। वह 1990 के दशक में योगराज सिंह के साथ पंजाबी सिनेमा में अग्रणी अभिनेताओं में से एक थे। उन्होंने अब तक 65-70 फिल्में की हैं।
दूसरा उदाहरण:
जाटों का उत्कर्ष, पृ० 370-71 पर योगेन्द्रपाल शास्त्री ने गिल वंश की उत्पत्ति निम्न प्रकार से लिखी है –
“गिल वंश केवल जाटों का वह सुप्रसिद्ध वंश है जो महाभारत के बाद ही विशेष प्रकाश में आया। प्राचीनकाल में फिरोजपुर का राजा अत्यन्त प्रतापी था।
देर तक निस्सन्तान रहने पर जब उसके पुत्र हुआ तो कुछ कुचक्रियों ने रानी की मूर्च्छितावस्था में उसे उठाकर सद्योजात कन्या वहां रख दी और राजकुमार को राजमहल से लेकर एक रूमाल में लपेट कर गीले (नमी वाले) खेत में दबा दिया।
किन्तु कुछ ही देर बाद एक शेर ने गन्ध पाकर उसे पंजों से खोदकर उखाड़ लिया और चाटने लगा। राजा भी उसी मार्ग से शिकार को निकले। घोड़ों की टापों से शेर तो जंगल में छिप गया किन्तु ऊपर मंडराती चीलों से राजा का ध्यान उस ओर गया।
उसकी आकृति रानी के समान होने और रूमाल भी राजमहल का होने से दासियों ने भयभीत होकर सब भेद प्रकट कर दिया। गीले खेत से प्राप्त राजकुमार को गिल और शेर द्वारा रक्षित होने से शेरगिल ही कहा गया।
इसी के नाम पर उसके वंशज, गिल एवं शेरगिल कहलाने लगे, जो कि जाट गोत्र है। समस्त गिल इसी कथावस्तु को अपना ऐतिहासिक आधार मानते हैं। इस गिल जाटवंश का विस्तार काबुल नदी के किनारे तक हुआ।”
शेरगिल जट्ट सिख गोत्र
जसजीत सिंह गिल (जन्म 3 दिसंबर 1970), जिन्हें जिमी शेरगिल के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय अभिनेता और फिल्म निर्माता हैं, जो हिंदी और पंजाबी फिल्मों में काम करते हैं।
1996 के थ्रिलर माचिस से शेरगिल ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। उनकी सफलता ब्लॉकबस्टर म्यूजिकल रोमांटिक फिल्म मोहब्बतें (2000) के साथ आई, जो साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्म बन गई।
जिसके बाद उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर कई हिट फिल्में दी जिनमें मेरे यार की शादी है (2002), दिल है तुम्हारा ( 2002), मुन्ना भाई एमबीबीएस (2003), हम तुम (2004), ए वेडनसडे! (2008), तनु वेड्स मनु रिटर्न्स (2011), स्पेशल 26 (2013), हैप्पी भाग जाएगी (2016) और दे दे प्यार दे (2019)।
उनकी सबसे अधिक कमाई वाली फिल्में कॉमेडी-ड्रामा लगे रहो मुन्ना भाई (2006), ड्रामा फिल्म माई नेम इज़ खान (2010) और रोमांटिक कॉमेडी तनु वेड्स मनु: रिटर्न्स (2015) आईं।
जिनमें से सभी उच्चतम श्रेणी में शामिल हैं- सभी समय की कमाई करने वाली भारतीय फिल्में। उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया।
शेरगिल ने 2005 में यारा नाल बहारा के साथ अपनी पंजाबी फिल्म की शुरुआत की। पंजाबी सिनेमा में उनके उल्लेखनीय काम में मेल करा दे रब्बा (2010), धरती (2011), आ गया मुंडे यूके दे (2014), शरिक (2015), और दाना पानी ( 2018)।
उन्होंने साहिब बीवी और गैंगस्टर 1,2 और एस.पी.चौहान -2019 तेरा मेरा क्या रिश्ता -2009, फामुश -2018), रंगबाज़ फिर से और योर ऑनर (2020) सोनी-लीव ओरिजिनल सीरीज जैसी फिल्मों में भी काम किया है।
गिल जाट गोत्र का इतिहास – शेरगिल जट्ट सिख गोत्र
इन गिल जाटों को प्रसिद्ध यूनानी इतिहासज्ञ हैरोडोटस ने एग्ली (Aegli) लिखा है और स्ट्रेबो यूनानी लेखक ने इनको गेलाई (Gelai) लिखा है। आजकल मध्य एशिया में इनको गीली (Gili) कहा जाता है। भारत में शेरगिल जाटों को मध्य एशिया में सीरीगिल्ली बोला जाता है।
पुस्तक: जाट्स दी एन्शन्ट रूलरज, पृ० 245, 301, लेखक बी० एस० दहिया।
इन गिल जाटों का शासन एवं शक्ति गिलगित पर्वत तथा कस्पियन सागर क्षेत्रों में थी। गिल जाटों के नाम पर गिलगित नगर एवं गिलगित पर्वत हैं, जहां पर इनका शासन था। कैस्पियन सागर पर इनका अधिकार होने से वह गिलन सागर कहलाया था।
देशवाल जाट गोत्र का इतिहास
कंवर पाल सिंह गिल (29 दिसंबर, 1934 – 26 मई 2017) भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी थे। उन्होंने दो बार पंजाब राज्य के लिए पुलिस महानिदेशक (DGP) के रूप में कार्य किया, जहाँ उन्हें पंजाब उग्रवाद को मिटाने का श्रेय दिया जाता है।
गिल 1958 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए और उन्हें पूर्वोत्तर भारत में असम और मेघालय राज्यों को सौंपा गया। 1980 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने असम में पुलिस महानिरीक्षक के रूप में कार्य किया। 28 वर्षों तक भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में रहे, 1984 में अपने गृह राज्य पंजाब लौट आए।
कई लोग उसे एक नायक के रूप में देखते हैं। गिल 1995 में IPS से सेवानिवृत्त हुए। गिल एक लेखक, संपादक, वक्ता, आतंकवाद-निरोध के सलाहकार, और संघर्ष प्रबंधन संस्थान के अध्यक्ष और भारतीय हॉकी महासंघ (IHF) के अध्यक्ष थे।
धनखड़ों का इतिहास
रिम्पी कौर गिल, जिन्हें आमतौर पर माही गिल के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जो हिंदी और पंजाबी फिल्म उद्योगों में काम कर रही हैं।
उन्हें प्रशंसित हिंदी फिल्म देव डी में पारो की भूमिका के लिए जाना जाता है, जिसके लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का 2010 का फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड भी जीता।
उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू से पहले पंजाबी फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की थी। गिल इरफान खान के साथ पान सिंह तोमर में नजर आए। यह एक एथलीट की सच्ची कहानी है जो डकैत बन गया।
इसमें उन्होंने मुख्य चरित्र की पत्नी की भूमिका निभाई। गिल ने फिल्म तूफ़ान से शुरुआत की, साथ ही साथ हिंदी संस्करण, ज़ंजीर के साथ भी शूटिंग की। उन्होंने तिग्मांशु धूलिया की फिल्म बुलेट राजा में अपना पहला आइटम नंबर किया।
इसके परिणामस्वरूप साहेब, बीवी और गैंगस्टर की एक कुंठित पत्नी माधवी देवी के साथ-साथ इसके सीक्वल, साहेब, बीवी और गैंगस्टर रिटर्न्स को चित्रित करने के बाद उन्हें पहचान मिली।
निशान वालिया मिसल
इस मिशल के संस्थापक दो बहादुर जाट – सरदार संगतसिंह और चौधरी मोहरसिंह थे, जो सतलज के निकटवर्ती प्रदेशों में दस हजार सवार इकट्ठे करके जाट राज्य संस्थापित करने की चेष्टा करने लगे।
अम्बाले को अपना केन्द्र स्थान बनाया। दूर-दूर तक छापे मार करके धन लाते थे क्योंकि बगैर धन के न राज्य कायम हो सकते हैं, न फौज रखी जा सकती है। एक बार तो मेरठ शहर तक इन्होंने धावा बोला और वहां से बहुत सा धन लूटकर लाये।
ये लोग अपनी फौज के साथ निशान रखते थे इसलिए इनकी फौज का नाम निशान वालिया पड़ा। संगतसिंह के मर जाने पर कुल राज्य का भार मोहरसिंह के हाथ आ गया।
कुछ समय के पश्चात् महाराज रणजीतसिंह ने दीवान मोहमकचन्द को इसलिए इनके देश में भेजा कि वह युद्ध के जरिये निशान वालिया राज्य को अपने राज्य में मिला लें।
निशान वालिया सिक्खों ने मोहकमचन्द का डटकर सामना किया किन्तु वे हार गए और किला अम्बाला मोहकमचन्द के हाथ पड़ गया।
खजाना और वस्तु-भंडार छीन लेने के बाद महाराज रणजीतसिंह ने इस राज्य को अपने राज्य में मिला लिया। इस तरह निशान वालिया का भी अन्त हो गया।
शहनाज कौर गिल एक भारतीय अभिनेत्री, मॉडल और गायिका हैं, जो टेलीविजन और फिल्मों में काम करती हैं। गिल ने अपने मॉडलिंग करियर की शुरुआत गुरविंदर बराड़ के साथ 2015 के म्यूजिक वीडियो, “शिव दी कीताब” से की थी और उसके बाद 2016 में कंवर चहल की “माजे दी जट्टी” में अभिनय किया।
निष्कर्ष: गिल जाट गोत्र का इतिहास
गिल हिन्दू जाट बहुत कम हैं। मुसलमान जाट बहुत अधिक हैं जो कि पाकिस्तान तथा काबुल प्रान्त में हैं। गिल सिक्ख जाटों की इनसे अधिक संख्या है।
इन सिक्ख जाटों की बड़ी संख्या फिरोजपुर, अमृतसर, पटियाला, लुधियाना, गुरदासपुर, जालन्धर, अम्बाला, कपूरथला जिलों में है।
इनकी मजीठा रियासत सबसे समृद्ध और पुरानी थी। मुगल शासन का उन्मूलन करके सिक्ख राज्य की स्थापना और संवर्धन में इस परिवार के पूर्वजों ने जो किया, इसी तरह देश की स्वतन्त्रता के प्रति गिल जाटों ने अपने कर्त्तव्य का पालन किया।
इस वंश में सरदार देशासिंह जैसे वीर, सर सुन्दरसिंह मजीठिया जैसे कुशल राजनीतिज्ञ, सरदार दयालसिंह जैसे दानी, सरदार कृपालसिंह जैसे उद्योगपति हो चुके हैं। गिल जाटों की निशानवालिया मिसल की वीरता के कारनामे बड़े प्रसिद्ध हैं।
गिल सिक्ख जाटों की मंसूरवाल, मुकन्दपुर, छैना नौशीरा या रायपुर और मोगा आदि प्रसिद्ध जागीरें थीं। आज भी ये लोग शासन विभाग में ऊंचे पदों पर हैं।