छीलर जाट गोत्र का इतिहास
इतिहासकारों ने यह सिद्ध किया है के छीलर-छिकारा चीमा जाटों के वंशज हैं तथा उसी की शाखा हैं। पंजाब में चीमा एवं छिकारे जाट एक ही स्थान पर बसे हुए हैं।
चीमा चन्द्रवंशी जाट गोत्र है। यह गोत्र वैदिककाल से है। चीमा जाट आर्यावर्त से चीन देश में गए और वहां बस्तियां बसाईं तथा राज्य किया।
(अधिक जानकारी के लिए देखो तृतीय अध्याय, चीना या चीमा प्रकरण)।
छीलर व छिकारा एक ही नाम है, केवल भाषा-भेद से दो नाम बोले जाने लगे। छीलर व छिकारा एक ही रक्त के हैं, इसीलिए इनके आमने-सामने तथा भानजा-भानजी के आपस में रिश्ते-नाते नहीं होते हैं। यह इन दोनों का रक्त भाई का ठोस प्रमाण है।
जिला रोहतक में छिकारा जाटों के गांव –
- कानौंदा
- मुकन्दपुर
- खेरपुर
- लडरावण
- खेड़ी आसरा।
दिल्ली प्रान्त में – जौंती, टटेसर, निजामपुर। जिला मेरठ में –
- खानपुर
- महोड़ा
- महपा
- नानू। जिला मुरादाबाद व बिजनौर में छिकारा जाटों के कई गांव हैं।
छीलर जाट गोत्र का इतिहास – History of Chhilar Jat gotra छिकारा
अमरोहा के पास कीलबकरी नामक रियासत छिकारों की थी। कमालपुर और बस्तापुर छिकारा जाटों के बड़े गांव हैं।
जिला बिजनौर में 1. बाहुपुरा 2. ऊमरी 3. पामार 4. गजरोला गांव छिकारा जाटों के हैं। जिला सोनीपत में करेवड़ी गांव छिकारा जाटों का है।
छीलर जाटों के गांव जिला रोहतक में बामनौली और बराही हैं। जिला सोनीपत में बड़ा गांव जूआं छिकारा जाटों का है।
छीलर-छिकारा गोत्र चीमा जाट वंश इतिहासकारों ने यह सिद्ध किया है के छीलर-छिकारा चीमा जाटों के वंशज हैं तथा उसी की शाखा हैं। पंजाब में चीमा एवं छिकारे जाट
पंचायत और इसके जन्मदाता जाट थे
नरवाल जाट गोत्र का इतिहास – History of Narwal Jat gotra
नरवाल जाट गोत्र चन्द्रवंशी नोहवारों की शाखा है। चन्द्रवंशी सम्राट् ययाति के पुत्र अनु से 9वीं पीढ़ी में महाराजा उशीनर हुये जिनके नव पुत्र ने नवराष्ट्र पर राज्य किया।
महाराजा नव की प्रसिद्धि के कारण उनके नाम पर नव गोत्र प्रचलित हुआ जो कि जाट गोत्र है। भाषा भेद से इन जाट लोगों का नाम नव, नौवार, नौहवार पड़ गया जो कि एक ही है।
(अधिक जानकारी के लिए देखो, तृतीय अध्याय, नव या नौवार प्रकरण)।
इन नौहवार जाटों में नरहरी क्षत्रिय के नाम पर इसी वंश के एक समूह का नाम नरवाल प्रचलित हुआ जो कि नौहवारों की शाखा है।
नौहवार और नरवाल जाटों के जिला मथुरा में हसनपुर, बरौठ, बाजवा आदि 8 गांव है। हसनपुर सबसे बड़ा गांव है, यहीं से नरवाल हरयाणा और उत्तरप्रदेश में आबाद हुये।
जिला मेरठ में बढ़ला, तातारपुर, बहादुरपुर। जिला बिजनौर में कुम्हैड़ा। जिला मुजफ्फरनगर में शामली, लालोखेड़ा, मन्दीठ, कसीरवा 1/2, सोहनी खेड़ी। जिला अलीगढ़ में मीरपुर, गादोली, भोजाका, मंढ़ा, झरयाका और मरहला गांव नरवाल जाटों के हैं।
देहली प्रान्त में सन्नौठ नरवाल जाटों का प्रसिद्ध गांव है। जिला सोनीपत तहसील गोहाना में कथूरा, बणवासा, कहल्पा रिठाल 1/2 और रिढाणा गांव नरवाल जाटों के हैं।
जि० जींद में गांव जोशी, चूड़पुर, झमोला 1/3, भड़ताना 1/2 और जि० करनाल में खेड़ी नरू, चड़ावा, भालसी आदि गांव नरवाल जाटों के हैं।
महाराजा नव की प्रसिद्धि के कारण उनके नाम पर नव जाट गोत्र प्रचलित हुआ समय पर भाषा भेद से इन लोगों का नाम नव, नौवार, नोहाल, नौहवार,नेहवाल ,निर्वाल व नरवाल पड़ गया जो कि सब एक ही हैं।
नरवाल (नरवाल) नरवाल (नरवा () नरवाल (नरवा N) नर्मर (नरम) नरवाल (नरवाल) पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जाटों का एक समूह है। यह चौहानों की एक शाखा है।
नारा जाट गोत्र का इतिहास – History of Nara Jat gotra
जाटों के साथ पक्षपात के कुछ उदाहरण
यह प्राचीनकाल का गोत्र है। महाभारत काल के बाद विदेशों में जाटों का शासन रहा। जाटों का मध्यपूर्व में 80 जाट गोत्रों का निवास व शासन रहा। इसमें नारा जाटों का शासन व निवास था
(देखो चतुर्थ अध्याय मध्यपूर्व में जाट गोत्रों की शक्ति, शासन तथा निवास सूची)।
यूनानी भाषा में नारा जाटों को नाराय (Nareae) लिखा है।1 पश्चिमी देशों में एक शक्तिशाली यवन2 सम्राट् ने नाराका (नारा जाट) लोगों पर शासन किया।
असीरिया3 के शिलालेखों पर नारा जाटों को नैरी (Nairi) लिखा है।4 इन लेखों से प्रमाणित है कि नारा जाटों का शासन व निवास इन देशों में था।
यह नहीं कहा जा सकता कि नारा जाट विदेशों में कहां-कहां रह गये। यह एक खोज का विषय है।
जिला रोहतक में मदाना कलां व मदाना खुर्द नारा जाटों के गांव हैं जो कि अहलावत खाप में हैं। जिला अलीगढ़ में लगभग 80 गांव नारा जाटों के हैं।
नारा (कल) हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जाटों का एक समूह है। नारा कबीला अफगानिस्तान में भी पाया जाता है। नारा, I (1023-983 ईसा पूर्व) कश्मीर का राजा था। नारा II (520 ईसा पूर्व 460 460) कश्मीर का राजा था।