जाट समाज की गोत्र लिस्ट – हरयाणा, पंजाब, राजस्थान
गोत्र एक प्राचीन वैवाहिक प्रथा है। जोकि वैज्ञानिक दृष्टि से भी सही मानी जाती है । गोत्र शब्द या प्रथा कितनी प्राचीन है। इसके बारे में सटीक रूप से नहीं कहा जा सकता है। फिर भी यह अति प्राचीन कालीन प्रथा है।
प्राकृत भाषा में गोत्र के लिए गोष्ठ शब्द का प्रयोग हुआ है। प्राचीन बोद्ध धर्म और उसके सम्प्रदाय (सिख, विश्नोई ) और कुछ भारतीय मुस्लीम जातियो जैसे मेव, गद्दी, कायमखानी में आज भी प्रचलित है।
हालांकि मुस्लिम धर्म में गोत्र प्रथा नहीं लेकिन जिन मुस्लिम जातियो में यह गोत्र प्रथा है उसका कारन उन मुस्लिम जातियो का जाट या किसान मूल होना है। समय के साथ इन मुस्लिम जातियो में भी गोत्र प्रथा खत्म होती जा रही है। यह प्रायः शुद्ध रूप से जाटों और उसके समकक्षी दो तीन कृषक समुदायों में ही प्रचलित है।
एक ही गोत्र में विवाह भारतीय जाट संस्कृति में हमेशा एक विवाद का विषय रहा है व नयी ओर पुरानी पीड़ी में टकराव का कारण है | सामाजिक दृष्टि से सगोत्र विवाह अनुचित है क्योकि एक ही गोत्र में जन्मे स्त्री व पुरुष को बहन व भाई का दर्जा दिया जाता है |
वैज्ञानिक दृष्टीकोण भी इसके पक्ष में है कि एक बहन व भाई के रिश्ते में विवाह सम्बन्ध करना अनुचित है | विज्ञान का मत है आनुवंशिकी दोषों एवं बीमारियों का एक पीड़ी से दूसरी पीड़ी में जाना यदि स्त्री व पुरुष का खून का सम्बन्ध बहुत नजदीकी है |
स्त्री व पुरुष में खून का सम्बन्ध जितना दूर का होगा उतना ही कम सम्भावना होगी आनुवंशिकी दोषों एवं बीमारियों का एक पीड़ी से दूसरी पीड़ी में जाने कि | दूसरे शब्दों में होने वाले बच्चे उतने ही स्वस्थ व बुद्धिमान होंगे |
शायद भारत के जाट लोग वैज्ञानिक भी थे जिन्होंने बिना यंत्रो के ही यह सब जन लिया था तथा यह नियम बना दिया था खून का सम्बन्ध जितना दूर का हो उतना उतम |
विजातीय विवाह भी एक तरह से गोत्र छोडकर विवाह करने जैसा है व उचित है | सगोत्र विवाह अनुचित ही नहीं परिवार का अंत करने वाला कदम होता है नयी पीड़ी को इसे समझना चाहिए |

चन्द्रवंश चंद्रवंशी ययाति शक्तिशाली और विजेता सम्राट् हुआ तथा अनेक आनुश्रुतिक कथाओं का नायक भी। उसके पाँच पुत्र हुए – यदु, तुर्वसु, द्रुह्यु, अनु और पुरु।
इन पाँचों ने अपने अपने वंश चलाए और उनके वंशजों ने दूर दूर तक विजय कीं। आगे चलकर ये ही वंश यदु, तुर्वसु, द्रुह्यु, आनव और पौरव कहलाए। ऋग्वेद में इन्हीं को पंचकृष्टय: कहा गया है।
यदु राजा एक चंद्रवंशी क्षत्रीय था उसका कुल वंश ही यदुवंशी कहलाते है जिसमे भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। यह महाराजा सूरजमल का वंश है |
हरिद्वार के प्राचीन राजा वीरभद्र जिनके नाम पर ऋषिकेश में रेलवे स्टेशन भी है, उनकी संतान से शिवी वंश चला जो आगे चलकर पंजाब उत्तरप्रदेश समेत पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब तक फ़ैल गया|सिकन्दर को टक्कर देने वाले राजा पोरस व पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह इसी वंश से थे |
गोत्र उन लोगों को संदर्भित करता है जिनका वंशज एक आम पुरुष पूर्वज से अटूट क्रम में जुड़ा है.आज भी यदि कहीं संयुक्तपरिवार देखने को मिलते हैं तो जाट समाज में सामाजिक व्यवस्था की खासियत ही यही रही कि इसमें हर समूह को एक खास पहचान मिली।
जाटों में गोत्र होता है जो किसी समूह के प्रवर्तक अथवा प्रमुख व्यक्ति के नाम पर चलता है। सामान्य रूप से गोत्र का मतलब कुल अथवा वंश परंपरा से है।
गोत्र को बहिर्विवाही समूह माना जाता है अर्थात ऐसा समूह जिससे दूसरे परिवार का रक्त संबंध न हो अर्थात एक गोत्र के लोग आपस में विवाह नहीं कर सकते पर दूसरे गोत्र में विवाह कर सकते, जबकि जाति एक अन्तर्विवाही समूह है यानी एक जाति के लोग समूह से बाहर विवाह संबंध नहीं कर सकते।
एक गोत्र और वंश के व्यक्ति आपस में भाई बहिन होते है । उनके मध्य विवाह सम्बन्ध जाटों में वर्जित होता है। जाटों में गोत्र पितृवंशीय होता है। अर्थात जाटों में व्यक्ति को गोत्र उसके पिता से मिलता है। सामान्य रूप से जाटों के एक गाव में एक ही गोत्र निवास करता है। लेकिन पश्चिमी राजस्थान में जाटों के एक गोत्रीय गाँव कम संख्या में है।
हरयाणा पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गाँव की सीमा से सटे गाँवो को गुहांड बोला जाता है और गुहाण्ड में विवाह सम्बन्ध नहीं होते है। सामाजिक समरसता बनाय रखने के लिए यदि एक गाव में जाटों के एक से अधिक गोत्र निवास करते है ।
तो उनमें यानि उन सभी गोत्र से न तो लड़की ली जाती है न ही लड़की दी जाती है अर्थात् विवाह सम्बन्ध नहीं होते है । गॉव के सभी गोत्र के लोग आपस में भैयाबंधि रखते है। इस से गाव में समरसता का माहोल बनता है।
जाट समाज की गोत्र लिस्ट – हरयाणा, पंजाब, राजस्थान – Jat Samaj gotra list
जाटों में लड़की का गोत्र विवाह के बाद उसके पति का गोत्र होता है। और विवाह से पहले उसके पिता का गोत्र
जाटों में विवाह के अवसर पर मुख्य रूप से चार गोत्र छोड़ने का नियम है। स्वयं यानि पिता का ,माता का (नाना का),दादी का (पिताकी माँ) , नानी का (माँ की माँ) कुछ जगहों पर जाटों में जिस गोत्र में बहन की शादी होती है उस गोत्र में भाई की शादी भी नहीं करते है। लेकिन यह प्रथा बहुत कम प्रचलन है। गोत्रों का महत्व: जाति की तरह गोत्रों का भी अपना महत्व है।
- गोत्रों से व्यक्ति और वंश की पहचान होती है।
- गोत्रों से व्यक्ति के रिश्तों की पहचान होती है।
- रिश्ता तय करते समय गोत्रों को टालने में सुविधा रहती है।
- गोत्रों से निकटता स्थापित होती है और भाईचारा बढ़ता है।
- गोत्रों के इतिहास से व्यक्ति गौरवान्वित महसूस करता है और प्रेरणा लेता है।
सगोत्र पर वैज्ञानिक मत पर :
निकट सम्बन्धियों में शादी से इनब्रीडिंग होती है। इनब्रीडिंग से आगामी पीढ़ियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । इसलिए इसे वैज्ञानिक तौर भी पर अनुमति नहीं होती। भारत के जाट योद्धेय वैज्ञानिक भी थे जिन्होंने बिना यंत्रो के ही यह सब जन लिया था तथा यह नियम बना दिया था खून का सम्बन्ध जितना दूर का हो उतना उतम |
हालाँकि भारत में यह प्रथा मुख्य रूप से जाट आबादी में ही पाई जाती है चाहे वो हिन्दू हो, बोद्ध, बिश्नोई, सिख या मुस्लिम धर्म का जाट| यह एक जातीय विरासत की तरह जाटों में चला आ रहा है |
आधुनिक जेनेटिक अनुवांशिक विज्ञान के अनुसार inbreeding multiplier अंत:प्रजनन से उत्पन्न विकारों की सम्भावना का वर्धक गुणांक इकाई से यानी एक से कम सातवीं पीढी मे जा कर ही होता है.
गणित के समीकरण के अनुसार, अंत: प्रजनन विकार गुणांक= (0.5) raised to the power N x100, ( N पीढी का सूचक है,) पहली पीढी मे N=1,से यह गुणांक 50 होगा, छटी पीढी मे N=6 से यह गुणांक 1.58 हो कर भी इकाई से बडा रहता है.
सातवी पीढी मे जा कर N=7 होने पर ही यह अंत: प्रजनन गुणांक 0.78 हो कर इकाई यानी एक से कम हो जाता है. मतलब साफ है कि सातवी पीढी के बाद ही अनुवांशिक रोगों की सम्भावना समाप्त होती है. यह एक अत्यंत विस्मयकारी आधुनिक विज्ञान के अनुरूप सत्य है जिसे हमारे ऋषियो ने सपिण्ड विवाह निषेध कर के बताया था.
जाट समाज की गोत्र लिस्ट – हरयाणा, पंजाब, राजस्थान – Jat Samaj gotra list
- अंतल
- अंधक
- अग्रे
- अजमेरिया
- अटवाल
- अट्टारीवाला
- अत्री गोत्र
- अमेजा
- असियाग
- अहलावत
- अहलुवालिया
- आंजना
- आबूसरिया
- इनाणिया
- उप्पल गोत्र
- उरिया गोत्र
- ऐचरा
- ओजला
- ओलख
- कक्कड़
- कटेवा
- कड़वासरा
- करवीर गोत्र
- कलवानिया
- कल्हण गोत्र
- कसवां
- कांग गोत्र
- काक गोत्र
- काजला जाट गोत्र
- काकरान
- कादियान गोत्र
- कालीरामणा
- कालेर
- कासनिया
- काहलों
- कुण्डू
- कुलहरी
- कोठारी गोत्र
- खंगूरा
- खटकड़
- खरल
- खारवेल गोत्र
- खिरवार
- खैरा
- खोखर
- खोजा गोत्र
- गंडास
- गखाल
- गढ़वाल (वंश)
- ग्रेवाल
- गर्चा
- गिल गोत्र
- गुज्जराल
- गुलिया
- गैना
- गोंडल
- गोदारा
- गोयत
- गोरया
- गोरा गोत्र
- घणघस
- घासल
- घुमन
- चंधारी
- चट्टा
- चाहर गोत्र
- चीमा
- छीना
- छोंकर
- छिल्लर
- छिक्कारा
- जागलान
- जटराणा
- जत्री
- जनजौहा
- जन्मेदा
- जसवाल
- जांदू
- जाखड़
- जाजड़ा
- जानू गोत्र
- जूण
- जेवल्या
- जोहल
- ज्याणी
- झाझड़िया
- झाल
- झिंझर
- टांडी गोत्र
- ठीन्ड
- डब गोत्र
- डबास
- डारा गोत्र
- डिडेल
- डुकिया
- डूडी
- डागर
- ढल्ल
- ढ़र्नि
- ढ़ाका
- ढिंडसा
- ढिल्लों
- तक्षक गोत्र
- तरड़
- ताखर गोत्र
- तिवाना
- तूर
- तेवतिया
- तोमर गोत्र (जाट)
- थोथाल
- दंतुसलिया
- दलाल गोत्र
- दुलड़
- दुसाद
- दुहून
- देव गोत्र
- देवल
- देसवाल
- धड्वाल
- धनकड़
- धवन
- धारिवाल गोत्र
- धालीवाल
- धूत
- धेत्रवाल
- धौल्या
- नत्त
- नांदल
- निज्जर
- निठारवाल
- नौहवार
- पंघाल
- पंढ़ेर
- पचार गोत्र
- पन्नू
- परिहार गोत्र
- परेवा (कुलनाम)
- पाल गोत्र
- पिलानिया
- पुरेवाल
- पूनिया
- पूनी गोत्र
- फर्सवाल
- फोगाट
- बागड़ी गोत्र
- बडगोती
- बड़जाती
- बन्देछा
- बमरौलिया
- बलहारा
- बांगड
- बाजवा
- बाज्या
- बाधान गोत्र
- बाना गोत्र
- बाल गोत्र
- बाल्यान
- बिजारनिया
- बिधान
- बुटर
- बुधवार गोत्र
- बुरा
- बेनीवाल
- बैंस गोत्र
- भंगल
- भडियार
- भण्डारी जाति
- भाटी
- भाटी (जाति)
- भादू
- भालोठिया
- भिंड गोत्र
- भुर्जी
- भूकर
- भूलर
- मंडीवाल
- मखदूम गोत्र
- मण्डोलिया
- मद्रक
- मलिक जाट गोत्र
- मल्ही
- महला
- मान गोत्र
- माहि
- माहिल
- मिनहास
- मिर्धा
- मूण्ड
- मेहरिया
- मैतला
- मोमीन अंसारी
- मोर गोत्र
- रंधावा
- रणवा
- राणा जाट गोत्र
- राठी
- रानू
- रघुवंशी
- लाम्बा गोत्र
- लेघा गोत्र
- वराइच गोत्र
- बराड़
- वसीर
- वहला
- वानर गोत्र
- विरदी
- विर्क
- वैरे
- शेइखुम
- शेरगिल
- शॉकीन
- श्योराण
- संघेडा
- संधवालिया
- समरा
- सरवारा
- सहारण
- सहोत्रा
- सांगवान
- साही गोत्र
- साहू गोत्र
- सिंघल
- सिकरवार
- सिद्धु
- सुण्डा गोत्र
- सुरियारा
- सेखों
- सेमी गोत्र
- सेहदेव
- सहरावत
- सोहल
- हंस गोत्र
- हिंजरा
- हीर गोत्र
- हुंडल
- हुड्डा

जाटों की कुछ प्रमुख गोत्र और उनके बहुल क्षेत्र
- सिद्धू गोत्र पंजाब का बहुत बड़ा गोत्र है| पश्चिमी उ०प्र० अमरोहा, हापुड जिलों में भी काफी गांव है |
- मान गोत्र भी पंजाब, हरियाणा और दिल्ली का बहुत बड़ा गोत्र है |
- बेनीवाल राजस्थान का महत्त्वपूर्ण गोत्र है हरियाणा और पश्चिमी उ०प्र० में भी काफी गांव है |
- सांगवान हरियाणा और पश्चिमी उ०प्र० का काफी नामी गोत्र है |
- मलिक (गठवाला) गोत्र भी काफी बड़ा गोत्र है |
- अहलावत गोत्र हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उ०प्र० का काफी बड़ा गोत्र है, इस गोत्र का हरियाणा के चौधरी अलग और पश्चिमी उ०प्र० से चौधरी अलग है| राजस्थान में भी इस गोत्र के काफी गांव है| झूंनझूनू से M.P संतोष अहलावत- इसी गोत्र से हैं |
- बालियान गोत्र मुजफ्फरनगर पश्चिमी उ०प्र० की मुख्य गोत्र है इस गोत्र के लोग खाटी और मेहनतकश होते हैं |
- तोमर गोत्र के गांव हरियाणा और पश्चिमी उ०प्र० दोनों राज्यों में काफी संख्या में हैं बडौत क्षेत्र में इनके गांवों की संख्या 84 हैं और इस गोत्र के गांव भी काफी बड़े है |
- ब्रज क्षेत्र में अग्र चौधरी, नौहवार, ठेनुआ, ठुकरेले, चाहर और कुन्तल प्रमुख गोत्र है| अगर जाटों की सबसे बड़ी गोत्र पता लगाये तो पंजाब की गोत्र ज्यादा बड़ी है |
- बहराइच गोत्र जाटों की सबसे बड़ी गोत्र बताई जाती हैं इस गोत्र के ज्यादातर गांव पंजाब पाकिस्तान में है| इस गोत्र के गांवों की संख्या 1200 से ज्यादा बताई जाती है
- सिद्धू, मान, गिल, ढिल्लन (ढिल्लौ), रणधावा और संधू प्रमुख जाट गोत्र है जाटों मे इतनी बड़ी बड़ी गोत्र है एक एक गोत्र की जनसंख्या लाखों में है |
जाट समाज की गोत्र लिस्ट – हरयाणा, पंजाब, राजस्थान Jat community gotra list – Haryana, Punjab, Rajasthan, Uttar Pradesh, Delhi, Gujarat
Isme gurab bhi likho
Kuldevi ka kul
Sahrawat
पलसानिया भी जोड़ो भाई
Hadaan aur panjeya bhi add kijiye
Sorry Hadaan aur panjeta
घाट भी जोड़ो जिसे हरियाणा में गाट’ बोलते हैं
तोमर वंश से हैं हम
सिवाच भी जोड़ो भाई
इसमे ( पावङ ) गौत्र भी जोङो
जाटो में एक गोतत्र सोगरवाल भी है
Nain gothar kha gya . Jis k 52/12 se femas h
Bhakhar gotrrr bhi likhe bhaei
Sagiwal bhi Jato ki gotra hai
Doot bhi jodo
( लड़ान ) ने बी जोड़ो भाई ????????????
बुरड़क भी जोड़ो भाई राजस्थान के कृषि पशुपालन ओर मत्स्य मन्त्री रह चुके ह हरजी राम जी बुरड़क
Bhai jaato ke गोत्र में ( लड़ना ) ने भी जोड़ ले भाई ????????????
इसमें दादरबार गोत्र भी जोड़ो
Bhai isme
1Bharliya
2Bhadala
3Chopda
4Tandi
5Ghasal
6Naga
7Hardu
8loor
9kajla
10 Lomroad
Yeh bhi add kr lo ????????
Berwal bhi jodi bhai
Dagoliya दगोलिया भी जोडो हम भी मेवाड राजस्थान से जाट हैं
इसमें सांई (sai) भी जोड़ो भाई
भालाणिया भी नहीं है
Rundla gotr bhi h
भांभू, निठारवाल , डोगीवाल, danga, बिच्छू, शामी, लेगा, डेलू, माल, गिला, छाबा, भोबिया, काला, फिरोद, फिडोदा, भाकल, इंदा, भास्कर , कुड़ी, ककरालिया, गोलिया, सांगवा, चोटिया,
Is me Khutail bhe jodo
Bhai ji isme nehra bhi aad kro
भाई फरडोदा जाति को भी जोड़ो
Jaato ka gotr gahlot ,dusad v aap add kre
Isme Gahlyan goter nahi hai
Isme doderiya bhi jodo
Serdiya
सेरङीया गौत्र जौङौ
गाड़ी पहिये बिना
और
हरियाणा दहिया बिना।
हरियाणे का दूसरा सबसे बड़ा गोत्र दहिया है। उसको कैसे भूल गए।